Friday 21 September 2012

SPEECH OF MANMOHAN SINGH IN HINDI


         
                     
No government likes to impose burdens on the common man. Our government has been voted to office twice to protect the interests of the aam admi: PM




             

राष्ट्र के नाम प्रधान मंत्रीजी  का संदेश


भाइयो और बहनो,
आज शाम मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि सरकार ने किन वजहों से हाल ही में आर्थिक नीतियों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। कुछ राजनीतिक दलों ने इन फैसलों का विरोध किया है। आपको यह सच्चाई जानने का हक है कि हमने ये निर्णय क्यों लिए हैं।
कोई भी सरकार आम आदमी पर बोझ नहीं डालना चाहती। हमारी सरकार को दो बार आम आदमी की ज़रूरतों का ख्याल रखने के लिए ही चुना गया है।
सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्रहित में काम करे और जनता के भविष्य को सुरक्षित रखे। इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हो जिससे देश के नौजवानों के लिए पर्याप्त संख्या में अच्छे रोज़गार के नए मौके पैदा हों। तेज आर्थिक विकास इसलिए भी जरूरी है कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य, आवासीय सुविधाओं और ग्रामीण इलाकों में रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए ज़रूरी रकम जुटा सकें।
आज चुनौती यह है कि हमें यह काम ऐसे समय पर करना है जब विश्व अर्थव्यवस्था बड़ी मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। अमरीका और यूरोप आर्थिक मंदी और वित्तीय कठिनाइयों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। यहां तक कि चीन को भी आर्थिक मंदी का एहसास हो रहा है।
इस सबका असर हम पर भी हुआ है, हालांकि मेरा यह मानना है कि हम दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी के असर को काबू में रखने में काफी हद तक कामयाब हुए हैं।
आज हम ऐसे मुकाम पर हैं, जहां पर हम अपने विकास में आई मंदी को खत्म कर सकते हैं। हमें देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों के विश्वास को फिर से कायम करना होगा। जो फैसले हमने हाल ही में लिए हैं, वे इस मकसद को हासिल करने के लिए ज़रूरी थे।
मैं सबसे पहले डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी और एलपीजी सिलिंडरों पर लगाई गई सीमा के बारे में बात करना चाहूंगा।
हम अपनी ज़रूरत के तेल का करीब 80 प्रतिशत आयात करते हैं और पिछले चार सालों के दौरान विश्व बाजार में तेल की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है। हमने इन बढ़ी हुई कीमतों का सारा बोझ आप पर नहीं पड़ने दिया। हमारी कोशिश यह रही है कि जहां तक हो सके आपको इस परेशानी से बचाए रखें।
इसके नतीजे में पेट्रोलियम पदार्थेां पर दी जाने वाली सब्सिडी में बड़े पैमाने पर इज़ाफा हुआ है। पिछले साल यह सब्सिडी 1 लाख चालीस हजार करोड़ रुपए थी। अगर हमने कोई कार्रवाई न की होती तो इस साल यह सब्सिडी बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए से भी ज़्यादा हो जाती।
इसके लिए पैसा कहां से आता? पैसा पेड़ों पर तो लगता नहीं है। अगर हमने कोई कार्रवाई नहीं की होती तो वित्तीय घाटा कहीं ज्यादा बढ़ जाता। यानि कि सरकारी आमदनी के मुकाबले खर्च बर्दाश्त की हद से ज़्यादा बढ़ जाता। अगर इसको रोका नहीं जाता तो रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों की कीमतें और तेजी से बढ़ने लगतीं। निवेशकों का विश्वास भारत में कम हो जाता। निवेशक, चाहे वह घरेलू हों या विदेशी, हमारी अर्थव्यवस्था में पूंजी लगाने से कतराने लगते। ब्याज की दरें बढ़ जातीं और हमारी कंपनियां देश के बाहर कर्ज नहीं ले पातीं। बेरोज़गारी भी बढ़ जाती।
पिछली मर्तबा 1991 में हमने ऐसी मुश्किल का सामना किया था। उस समय कोई भी हमें छोटे से छोटा कर्ज देने के लिए तैयार नहीं था। उस संकट का हम कड़े कदम उठाकर ही सामना कर पाए थे। उन कदमों के अच्छे नतीजे आज हम देख रहे हैं। आज हम उस स्थिति में तो नहीं हैं लेकिन इससे पहले कि लोगों का भरोसा हमारी अर्थव्यवस्था में खत्म हो जाए, हमें ज़रूरी कदम उठाने होंगे।
मुझे यह अच्छी तरह मालूम है कि 1991 में क्या हुआ था। प्रधान मंत्री होने के नाते मेरा यह फर्ज है कि मैं हालात पर काबू पाने के लिए कड़े कदम उठाऊं। 
दुनिया उन पर रहम नहीं करती जो अपनी मुश्किलों को खुद नहीं हल करते हैं। आज बहुत से यूरोपीय देश ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। वे अपनी ज़िम्मेदारियों का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं और दूसरों से मदद की उम्मीद कर रहे हैं। वे अपने कर्मचारियों के वेतन या पेंशन में कटौती करने पर मजबूर हैं ताकि कर्ज देने वालों का भरोसा हासिल कर सकें।
मेरा पक्का इरादा है कि मैं भारत को इस स्थिति में नहीं पहुंचने दूंगा। लेकिन मैं अपनी कोशिश में तभी कामयाब हो सकूंगा जब आपको ये समझा सकूं कि हमने हाल के कदम क्यों उठाए हैं।
डीजल पर होने वाले घाटे को पूरी तरह खत्म करने के लिए डीजल का मूल्य 17 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने की ज़रूरत थी। लेकिन हमने सिर्फ 5 रुपए प्रति लीटर मूल्य वृद्धि की है। डीजल की अधिकतर खपत खुशहाल तबकों, कारोबार और कारखानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बड़ी कारों और SUV के लिए होती है। इन सबको सब्सिडी देने के लिए क्या सरकार को बड़े वित्तीय घाटों को बर्दाश्त करना चाहिए?
पेट्रोल के दामों को न बढ़ने देने के लिए हमने पेट्रोल पर टैक्स 5 रुपए प्रति लीटर कम किया है। यह हमने इसलिए किया कि स्कूटरों और मोटरसाइकिलों पर चलने वाले मध्य वर्ग के करोड़ों लोगों पर बोझ और न बढ़े।
जहां तक एलपीजी की बात है, हमने एक साल में रियायती दरों पर 6 सिलिंडरों की सीमा तय की है। हमारी आबादी के करीब आधे लोग, जिन्हें सहायता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, साल भर में 6 या उससे कम सिलिंडर ही इस्तेमाल करते हैं। हमने इस बात को सुनिश्चित किया है कि उनकी ज़रूरतें पूरी होती रहें। बाकी लोगों को भी रियायती दरों पर 6 सिलिंडर मिलेंगे। पर इससे अधिक सिलिंडरों के लिए उन्हें ज़्यादा कीमत देनी होगी।
हमने मिट्टी के तेल की कीमतों को नहीं बढ़ने दिया है क्योंकि इसका इस्तेमाल गरीब लोग करते हैं।
मेरे प्यारे भाइयो और बहनो,
मैं आपको बताना चाहता हूं कि कीमतों में इस वृद्धि के बाद भी भारत में डीजल और एलपीजी के दाम बांगलादेश, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान से कम हैं।
फिर भी पेट्रोलियम पदार्थे पर कुल सब्सिडी 160 हजार करोड़ रुपए रहेगी।  स्वास्थ्य और शिक्षा पर हम कुल मिलाकर इससे कम खर्च करते हैं। हम कीमतें और ज्यादा बढ़ाने से रुक गए क्योंकि मुझे उम्मीद है कि तेल के दामों में गिरावट आएगी।
अब मैं खुदरा व्यापार यानि Retail Trade में विदेशी निवेश की अनुमति देने के फैसले का ज़िक्र करना चाहूंगा। कुछ लोगों का मानना है कि इससे छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचेगा। यह सच नहीं है।
संगठित और आधुनिक खुदरा व्यापार पहले से ही हमारे देश में मौजूद है और बढ़ रहा है। हमारे सभी ख़ास शहरों में बड़े खुदरा व्यापारी मौजूद हैं। हमारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनेक नए Shopping centres हैं। पर हाल के सालों में यहां छोटी दुकानों की तादाद में भी तीन-गुना बढ़ोत्तरी हुई है।
एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में बड़े एवं छोटे कारोबार, दोनों के बढ़ने के लिए जगह रहती है। यह डर बेबुनियाद है कि छोटे खुदरा कारोबारी मिट जाएंगे।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि संगठित खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश की अनुमति देने से किसानों को लाभ होगा। हमने जो नियम बनाए हैं उनमें यह शर्त है कि जो विदेशी कंपनियां सीधा निवेश करेंगी उन्हें अपने धन का 50 प्रतिशत हिस्सा नए गोदामों, Cold storage और आधुनिक Transport व्यवस्थाओं को बनाने के लिए लगाना होगा। इससे यह फायदा होगा कि हमारे फलों और सब्जियों का 30 प्रतिशत हिस्सा, जो अभी Storage और Transport में कमियों की वजह से खराब हो जाता है, वह उपभोक्ताओं तक पहुंच सकेगा। बरबादी कम होने के साथ-साथ किसानों को मिलने वाले दाम बढ़ेंगे और उपभोक्ताओं को चीजें कम दामों पर मिलेंगी।
संगठित खुदरा व्यापार का विकास होने से अच्छी किस्म के रोज़गार के लाखों नए मौके पैदा होंगे।
हम यह जानते हैं कि कुछ राजनीतिक दल हमारे इस कदम से सहमत नहीं हैं। इसीलिए राज्य सरकारों को यह छूट दी गई है कि वह इस बात का फैसला खुद करें कि उनके राज्य में खुदरा व्यापार के लिए विदेशी निवेश आ सकता है या नहीं। लेकिन किसी भी राज्य को यह हक नहीं है कि वह अन्य राज्यों को अपने किसानों, नौजवानों और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर ज़िंदगी ढूंढने से रोके।
1991 में, जब हमने भारत में उत्पादन के क्षेत्र में विदेशी निवेश का रास्ता खोला था, तो बहुत से लोगों को फिक्र हुई थी। आज भारतीय कंपनियां देश और विदेश दोनों में विदेशी कंपनियों से मुकाबला कर रही हैं और अन्य देशों में भी निवेश कर रही हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विदेशी कंपनियां Information Technology, स्टील एवं ऑटो उद्योग जैसे क्षेत्रों में हमारे नौजवानों के लिए रोज़गार के नए मौके पैदा करा रही हैं। मुझे पूरा यकीन है कि खुदरा कारोबार के क्षेत्र में भी ऐसा ही होगा।
मेरे प्यारे भाइयो और बहनो,
यूपीए सरकार आम आदमी की सरकार है।
पिछले 8 वर्षेां में हमारी अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत प्रति वर्ष की रिकार्ड दर से बढ़ी है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि गरीबी ज़्यादा तेजी से घटे, कृषि का विकास तेज़ हो और गांवों में भी लोग उपभोग की वस्तुओं को ज़्यादा हासिल कर सकें।  
हमें और ज़्यादा कोशिश करने की ज़रूरत है और हम ऐसा ही करेंगे। आम आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए हमें आर्थिक विकास की गति को बढ़ाना है। हमें भारी वित्तीय घाटों से भी बचना होगा ताकि भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास मज़बूत हो।
मैं आपसे यह वादा करता हूं कि देश को तेज़ और inclusive विकास के रास्ते पर वापस लाने के लिए मैं हर मुमकिन कोशिश करूंगा। परंतु मुझे आपके विश्वास और समर्थन की ज़रूरत है। आप उन लोगों के बहकावे में न आएं जो आपको डराकर और गलत जानकारी देकर गुमराह करना चाहते हैं। 1991 में इन लोगों ने इसी तरह के हथकंडे अपनाए थे। उस वक्त भी वह कामयाब नहीं हुए थे। और इस बार भी वह नाकाम रहेंगे। मुझे भारत की जनता की सूझ-बूझ में पूरा विश्वास है।
हमें राष्ट्र के हितों के लिए बहुत काम करना है और इसमें हम देर नहीं करेंगे। कई मौकों पर हमें आसान रास्तों को छोड़कर मुश्किल राह अपनाने की ज़रूरत होती है। यह एक ऐसा ही मौका है। कड़े कदम उठाने का वक्त आ गया है। इस वक्त मुझे आपके विश्वास, सहयोग और समर्थन की जरूरत है।
इस महान देश का प्रधान मंत्री होने के नाते मैं आप सभी से कहता हूं कि आप मेरे हाथ मज़बूत करें ताकि हम देश को आगे ले जा सकें और अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए खुशहाल भविष्य का निर्माण कर सकें।
जय हिन्द !



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