Monday 17 September 2012

best speech of l.k. advaniji on ram setu in hindi


      'राम सेतु' पर विवाद के बारे में आडवाणीजी के विचार

''सितंबर 2007 में 'रामसेतु' के मामले में हिंदू भावनाओं को उस समय गहरी ठेस पहुँची जब तमिलनाडु के पास सेतु समुद्रम शिप कैनाल परियोजना में 'रामसेतु' पर निरंतर छिड़s विवाद में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत हलफनामे में दावा किया कि भगवान् राम का कोई अस्तित्व ही नहीं था तथा 'रामायण' का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। इसपर और नमक छिड़कते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन की एक पार्टी के नेता ने भगवान् राम के बारे में और भी ज्यादा अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं। देश के सर्वोच्च न्यायालय में हिंदुओं को आघात पहुँचानेवाला हलफनामा पेश करके कांग्रेस पार्टी तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने विश्व भर के करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहँचाई है। पंथनिरपेक्षता का दावा करनेवाली सरकार का हिंदुओं की श्रेष्ठतम भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना, उन्हें तुच्छ या कूड़ा-करकट समझना, ईश-निंदा तथा अनधिकार चेष्टा, असंवेदनशीलता एवं उद्दंडता है। विविध दायरों में सरकार ने वह सब नकार दिया, जिसे हिंदू अपने धर्म में पवित्र, पावन समझते आ रहे हैं।'
मैंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, 'मैं यह बताना चाहूँगा कि 'महाभारत' के साथ 'रामायण' को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सभी महान् नेताओंमहात्मा गांधी से लेकर लोकमान्य तिलक एवं जवाहरलाल नेहरू से लेकर सरदार पटेल तकने भारत की राष्ट्रीय संस्कृति एवं अस्मिता की आधारशिला स्वीकार किया है। इसे मात्र पौराणिकता एवं कोरी कल्पना बताकर सरकार ने भारत के बारे में बने विचार को क्षत-विक्षत किया तथा हमारे प्राचीन राष्ट्र की सभ्यता की दृष्टि से पहचान के बारे में नए सिरे से सिखाने की कोशिश की।'
यद्यपि सरकार ने शीघ्रतापूर्वक इस निंदनीय हलफनामे को वापस ले लिया था, फिर भी इसने हिंदू संगठनों तथा धार्मिक नेताओं की यह माँग स्वीकार नहीं की है कि उस परियोजना का परित्याग कर दे, जिसमें 'रामसेतुÓ को नष्ट करने पर विचार किया जा रहा है।''

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