मेरे भाइयों और बहनों
वंदे मातरम्!
15 अगस्त का दिन हमारे महिमाशाली देश की स्मृति में चिरकाल के लिए अंकित हो चुका है, क्योंकि यह वही दिन है जब भारत ने 200 साल की गुलामी और अन्याय को हमेशा के लिए अलविदा कहा था। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैं भारत के लोगों और बड़ी संख्या में भारत के बाहर रहने वाले भारतीयों का अभिवादन करता हूं।
अनेक वीर नर-नारियों ने हमारी मातृभूमि को साम्राज्यवाद के पंजे से आजादी दिलाने के लिए अथक संघर्ष किया और अपना जीवन खपा दिया, इस मौके पर उन्हें याद करना स्वाभाविक ही है। भारत की आने वाली पीढिय़ां स्वतंत्रता और स्वाभिमानपूर्वक जी सके इस हेतु अपनी जवानी जेल में व्यतीत करने वाले और हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगाने वाले उन वीरों को भारत के प्रति कितना प्रेम होगा?
गुजरात का स्वतंत्रता संग्राम के साथ अटूट नाता रहा है। हमारे लिए अत्यन्त गौरव की बात है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दो मजबूत आधारस्तंभ समान नेता महात्मा गांधी और सरदार पटेल गुजरात के थे, और हम उन्हीं की भूमि में ही रहते हैं तथा उन्हीं की भाषा बोलते हैं। क्रांतिकारी राष्ट्रवादी वीरों पर गहरा प्रभाव छोडऩे वाले श्यामजी कृष्ण वर्मा गुजरात के ही सपूत थे। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी ऐसी विभूतियों ने गुजरात की धरा को पावन किया है, ऐसे में उनके आदर्शों और स्वप्नों को साकार करने की हमारी विशेष जवाबदारी बन पड़ती है।
वास्तव में, संकल्पबद्घ पुरुषार्थ के जरिए गुजरात ने अपने तिरंगे की आन-बान-शान बरकरार रहे ऐसी उपलब्धियां हासिल की हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंगों का समावेश है। पहला रंग है केसरी, जो ऊर्जा का प्रतीक है। ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति को अंजाम देकर गुजरात ने इस केसरिया रंग की विभावना को साकार किया है। जब देश के 19 राज्य और 60 करोड़ लोग अंधकार की चपेट में थे, तब गुजरात रोशनी से जगमगा रहा था।
राष्ट्र ध्वज का दूसरा रंग है- सफेद। गुजरात ने श्वेत क्रांति की अगुवाई करते हुए इस रंग की विभावना को सच्चे अर्थ में मूर्तिमंत किया है। दूध उत्पादन हो या नमक या फिर कपास का उत्पादन, गुजरात ने सचमुच ही अपने विकास से सफेद रंग को और भी उज्जवल कर बताया है।
तिरंगा का तीसरा रंग है- हरा। पानी की किल्लत जैसी गंभीर समस्या से जूझने के बावजूद हरित क्रांति कर गुजरात ने दुनिया को बता दिया है कि कृषि विकास किसे कहते हैं। आज जब देश का कृषि विकास 3 फीसदी की दर से वृद्घि कर रहा है, तब गुजरात की कृषि विकास दर 10 फीसदी से भी अधिक है!
इस तरह, गुजरात अपने विकास के जरिए भारत के स्वाभिमान और गौरव के प्रतीक समान तिरंगे को अपनी सलामी दे रहा है।
15 अगस्त, 1947 को भारत ने स्वराज हासिल किया, लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। हमारे देश के निर्माताओं की कल्पना में आजादी का अर्थ स्वराज की प्राप्ति तक ही सीमित नहीं था, उनकी भावना तो सुराज की स्थापना करने की थी। हम 15 अगस्त महज इसलिए नहीं मनाते कि उस दिन एक ध्वज का स्थान दूसरे ध्वज ने लिया था, और औपनिवेशिक शासकों की जगह भारतीय प्रशासकों ने ली थी। हकीकत में यह दिन हमें सुराज की प्राप्ति के लिए कृतनिश्चयी बनकर पुरुषार्थ करने का आह्वान करता है।
एक सवाल मन में उठता है कि, क्या हमारा देश सुराज प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ रहा है? कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की घोर असफलता को देखते हुए मुझे तो ऐसा प्रतीत नहीं होता। ऐसे में जब देश का आम आदमी महंगाई की मार से इतना त्रस्त है, जितना पहले कभी न था, तब भला कैसे कह सकते हैं कि देश सुराज की दिशा में कदम बढ़ा रहा है? क्या सरकार की गंभीर नीतिपंगुता को हम सुराज कहेंगे? प्रधानमंत्री ने हमेशा की तरह सिर्फ बयानबाजी करने के अलावा कुपोषण की चुनौती का मुकाबला करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए हैं? आंतरिक सुरक्षा के मामले में देश के समक्ष प्रतिदिन नई और ज्यादा गंभीर चुनौतियां खड़ी हो रही हैं, लेकिन उससे निबटने के लिए केन्द्र ने अब तक कोई ठोस कदम उठाए ही नहीं हैं। लाक्षणिक भाषा में अक्सर ऐसा कहा जाता था कि यूपीए के शासनकाल में भारत के लोग मानों अंधकार में जी रहे हैं, लेकिन जब आधा भारत बिना बिजली के दो दिनों तक अंधकार में डूबा रहा तो यह बात अक्षरस: सच साबित हुई!
स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली ऐसी सरकार है जिसके पास कोई निश्चित नेता, नीति और नीयत नहीं है। 2004 और 2009 के चुनावों में कांग्रेस ने जो बड़े वादे किए थे वे भारत की जनता के साथ किये गए क्रूर मजाक के समान लग रहे हैं।
कांग्रेस तो एक कदम और आगे बढ़ गई है। भारत के लोगों की जनभागीदारी और अथक मेहनत के परिणामस्वरूप जो उपलब्धियां हासिल की गईं, उसे कांग्रेस ने अपनी सफलता करार दिया है, और इस तरह वह बारम्बार देश के लोगों का अनादर कर घाव पर नमक छिडक़ रही है। 2004 और 2009 के कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्रों को देखेंगे तो आप पाएंगे कि कांग्रेस ने अपने क्षुद्र लाभ की खातिर जनभागीदारी से से किये गए तमाम कार्यों को लोगों का शुक्रिया अदा किए बगैर अपने नाम कर लिया है। जैसे कि, घोषणा पत्र में उल्लेखित है कि कांग्रेस ने देश को आजादी दिलाई, कांग्रेस ने संसदीय लोकतंत्र को बल दिया और हमारे संविधान के अस्तित्व को संभव बनाया! स्वप्रशंसा के लिए समग्र देश के लोगों द्वारा किये गए कड़े परिश्रम को नजरंदाज करने से ज्यादा अपमानजनक और क्या होगा? अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस यह दावा कैसे कर सकती है कि सिर्फ उसकी वजह से ही देश में सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में क्रांति आई या फिर सिर्फ उसकी वजह से ही देश परमाणु शक्ति बना? कांग्रेस बड़े गर्व से यह दावा करती है कि च्कांग्रेस के कारण ही मध्यमवर्ग का निर्माण हुआज्, यदि वास्तव में ऐसा है तो क्यों मध्यमवर्ग को बेहिसाब आर्थिक तकलीफ देने में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रही?
कांग्रेस की मनघड़ंत बातें यहीं नहीं रुकती। कांग्रेस का घोषणा पत्र कहता है कि, कांग्रेस ने ही भारत में हरित और श्वेत क्रांति की और किसानों को समृद्घ बनाया। क्यों हर बार जनशक्ति का अनादर कर तमाम उपलब्धियों को मात्र कांग्रेस के सृजन के रूप में दर्शाया जाता है?
कांग्रेस के कुशासन का सबसे बड़ा पहलू तो उसके द्वारा भारत की संघीय व्यवस्था पर किया गया कुठाराघात है। इस बेहद गंभीर मुद्दे को लेकर मैनें कई बार प्रधानमंत्री को लिखा है। केन्द्र और राज्यों के बीच अविश्वास का वातावरण भारत की प्रगति के लिए काफी नुकसानकारक साबित होगा।
मित्रों, हमारे पूर्वजों ने स्वराज की प्राप्ति के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। हमारे पूर्वजों को देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने का अवसर मिला, आज वक्त का तकाजा है कि लोग आगे आएं और भारत के निर्माताओं की परिकल्पना को साकार करने के लिए अपना जीवन समर्पित करें।
भारत की युवाशक्ति उसकी सबसे बड़ी ताकत है। भारत की 65 फीसदी से भी ज्यादा आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। इतनी प्रचंड ताकत से तो आकाश में भी सुराख किया जा सकता है। श्री अरविंद, स्वामी विवेकानंद और दयानंद सरस्वती जैसी विभूतियों ने समूचे विश्व की अगुवाई करने वाले च्जगतगुरू भारतज् का ख्वाब देखा था। हमारी युवाशक्ति इस परिवर्तन को अंजाम देकर इन महापुरुषों के स्वप्न को वास्तविकता के धरातल पर उतार सकती है। हमें युवाशक्ति को आवश्यक हुनर-कौशल्य से लैस करने की जरूरत है।
हमारे पूर्वजों ने भारत में सुराज स्थापित करने का जो स्वप्न देखा था, उसे साकार करने आइए, हम सभी निश्चय करें। आइए, हम सब भारत के विकास में अपना योगदान देने को प्रतिबद्घ बनें। भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास – यही हमारा मंत्र है। हम, भारत माता की संतानें, भारत को मात्र स्वराज की भूमि ही नहीं बल्कि सुराज का अगुवा बनाने का संकल्प करें।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक बार फिर मेरे भारतीय बंधुओं का अभिवादन करता हूं।
भारत माता की जय! जय हिंद!
नरेन्द्र मोदी
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